Fun Stories: सिकन्दर और डाकू

बहुत पुरानी बात है, पर है सच्ची। एक बार एक खूंखार डाकू सिकन्दर बादशाह के सम्मुख लाया गया। सिपाहियों ने बड़े प्रयास के पश्चात उसे गिरफ्तार किया था। वह अपना सिर झुकाये खड़ा था। उसके हाथ-पैर रस्सियों से बुरी तरह बंधे थे।

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सिकन्दर और डाकू

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Fun Stories सिकन्दर और डाकू:- बहुत पुरानी बात है, पर है सच्ची। एक बार एक खूंखार डाकू सिकन्दर बादशाह के सम्मुख लाया गया। सिपाहियों ने बड़े प्रयास के पश्चात उसे गिरफ्तार किया था। वह अपना सिर झुकाये खड़ा था। उसके हाथ-पैर रस्सियों से बुरी तरह बंधे थे। शरीर पर एक-दो जगह घाव भी हो गये थे। (Fun Stories | Stories)

पर डाकू के चेहरे पर भय के भाव रत्ती भर न थे, जैसे उसे अपनी जान से जरा भी मोहब्बत न हो। सिर पर मौत मंडरा रही थी, पर वह एकदम खामोश था सामान्य प्राणी की तरह। अपराध बोध का तो नामोनिशान तक न था। कोई दूसरा होता तो उसके हाथ-पांव फूल गए होते।

सम्राट सिकन्दर ने डाकू को सिर से पैर तक घूरा। फिर कड़कती आवाज में कहा, "तू रहम के योग्य नहीं है। तू घोर पापी है, तूने...

सम्राट सिकन्दर ने डाकू को सिर से पैर तक घूरा। फिर कड़कती आवाज में कहा, "तू रहम के योग्य नहीं है। तू घोर पापी है, तूने तमाम लोगों को लूटा है। तमाम हत्या की है। तू धरती के लिए बोझ बन चुका है। तुझे प्राण दंड दिया जाएगा। बोल, तू अपनी सफाई में कुछ कहना चाहता है?" (Fun Stories | Stories)

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डाकू ने अपनी निगाहें नीची रखते हुए कहा, "हुजूर, मैं आपकी न्यायप्रियता के कई किस्से सुन चुका हूं। सुना है, आपका फैसला एकदम दुरूस्त होता है दूध का दूध और पानी का पानी।गुस्ताखी माफ हो, तो मैं कुछ अर्ज करूं..."

"इजाजत है। सिकन्दर ने जरा बुलन्द लहजे में कहा, "तुम्हें भी अपनी सफाई देने का पूरा मौका दिया जाएगा। डरो मत, जो कुछ कहना हो, बेधड़क होकर कहो तुम्हारे साथ पूरा इंसाफ किया जाएगा"। (Fun Stories | Stories)

अब डाकू ने अत्यंत निर्भीकता के साथ कहा, "हुजूर, मैं कैदी हूं, इस समय आपके रहमोकरम पर हूं, आप मुझे डाकू कहिए, जालिम कहिए या जो जी चाहे कहिए। आप बादशाह हैं, ताकतवर हैं, लोग आपसे खौफ खाते हैं, आप हजारों हजार के माई-बाप हैं। पर गौर कीजिए, कलेजे पर अपना हाथ रखकर ठंडे दिल से सोचिए, जिसने तमाम मुल्कों को लूटा, हजारों घर बर्बाद कर दिए, दुधमुंहे बच्चे से उनका बाप छीन लिया, जगह-जगह तबाही मचा दी, उसे आप क्या कहेंगे? क्या वह जालिम नहीं है? क्या वह पापी नहीं है? क्या आप उसे भी सूली पर चढ़ा देंगे? मैं अपनी जान की नहीं, आपसे न्याय की भीख मांगता हूं"।

अब सम्राट सिकन्दर चुप! गर्दन गयी झुक। जवाब भी क्या देता। पर वह एक डाकू की निडरता से प्रभावित हुए बिना न रह सका। डाकू की सजा माफ हो गयी। वह रिहा कर दिया गया। पर मन बदले, तो सब कुछ बदल जाता है। अब वह डाकू नहीं एक भला आदमी बन गया था। (Fun Stories | Stories)

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